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Chapter 1 – Shloka 23

The Gita – Chapter 1 – Shloka 23 Shloka 23 दुर्बुद्भि दुर्योधन का युद्ध में हित चाहनेवाले जो-जो ये राजा लोग इस सेना में आये हैं, इन युद्ध करनेवालों कों मैं देखूंगा ।। २३ ।। I desire to see all of those great warrior kings who have gathered here to fight alongside the evil-minded DURYODHANA …

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Chapter 1 – Shloka 22

The Gita – Chapter 1 – Shloka 22 Shloka 22 और जब तक की मैं युद्धक्षेत्र में डटे हुए युद्ध के अभिलाषी इन विपक्षी योद्धाओं को भली प्रकार देख लू कि इस युद्ध रूप व्यापार में मुझे किन-किनके साथ युद्ध करना योग्य है, तब तक उसे खड़ा रखिये ।। २२ ।। Place my chariot, O …

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Chapter 1 – Shloka 20-21

The Gita – Chapter 1 – Shloka 20-21 Shloka 20  21 हे राजन् ! इसके बाद कपिध्वज अर्जुन ने मोर्चा बाँधकर डटे हुए धृतराष्ट्र-सम्बन्धियों को देखकर उस शस्त्र चलने की तैयारी के समय धनुष उठाकर ह्रषीकेश श्रीकृष्ण महाराज से यह वचन कहा —— हे अच्युत ! मेरे रथको दोनों सेनाओं के बीच में खड़ा कीजिये …

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Chapter 1 – Shloka 19

The Gita – Chapter 1 – Shloka 19 Shloka 19 और उस भयानक शब्द ने आकाश और पृथ्वी-को भी गुँजाते हुए धार्तराष्ट्रों के अर्थात् आपके पक्षवालों के ह्रदय विदीर्ण कर दिये ।। १९ ।। The earth and sky was filled with the extremely loud and terrible noise of the PANDAVAS’ bugles and voices which struck …

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Chapter 1 – Shloka 17-18

The Gita – Chapter 1 – Shloka 17-18 Shloka 17   18 श्रेष्ठ धनुषवाले काशिराज और महारथी शिखण्डी एवं धृष्टधुम्न तथा राजा विराट और अजेय सात्यकि राजा द्रु पद एवं द्रौपदी के पाँचो पुत्र और बड़ी भुजावाले सुभद्रापुत्र अभिमन्यु —- इन सभी ने, हे राजन् ! सब ओर से अलग-अलग शंख बजाये ।। १७ – १८ …

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Chapter 1 – Shloka 16

The Gita – Chapter 1 – Shloka 16 Shloka 16 कुन्तीपुत्र राजा युधिष्ठिर ने अनन्तविजय-नामक और नकुल तथा सहदेव ने सुघोष और मणिपुष्पक नामक शंख बजाये ।। १६ ।। The King YUDISHTHIRA. the son of KUNTI blew the great conch called ANANTAVIYAYA: NAKUL and  SAHDEV blew SUGHOSHA and MANIPUSHPAKA (also names of conches). The Gita …

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Chapter 1 – Shloka 15

The Gita – Chapter 1 – Shloka 15 Shloka 15 श्रीकृष्ण महाराज ने पाञ्चजन्य-नामक, अर्जुन ने देवदत्त-नामक और भयानक कर्मवाले भीमसेन ने पौण्ड्र-नामक महाशंख बजाया ।। १५ ।। The PANCHAJANYA (the name of one of the conches) was blown by HRISHIKESA (Lord Krishna). The conch named DEVADATTA was blown by DHANANJAYA (Arjuna). The Gita – …

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Chapter 1 – Shloka 14

The Gita – Chapter 1 – Shloka 14 Shloka 14 इसके अनन्तर सफेद घोडों से युक्त्त उत्तम रथ में बैठे हुए श्रीकृष्ण महाराज और अर्जुन ने भी अलौकिक शंख बजाये ।। १४ ।। MADHAVA (Lord Krishna) and PANDAVA were seated in their magnificent chariote attached to white horses and they blew gracefully their divine conches. …

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Chapter 1 – Shloka 13

The Gita – Chapter 1 – Shloka 13 Shloka 13 इसके पश्चात् शंख और नगारे तथा ढोल, मृदंग और नरसिंघे आदि बाजे एक साथ ही बज उठे । उनका वह शब्द बड़ा भयंकर हुआ ।। १३ ।। Tremendous noise followed. Conches, kettle-drums, tabors, and trumpets and cowhorns blared across the battlefield. The Gita – Chapter …

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Chapter 1 – Shloka 12

The Gita – Chapter 1 – Shloka 12 Shloka 12 कोरवों में वृद्ब बड़े प्रतापी पितामह भीष्म ने उस दुर्योधन के ह्रदय में हर्ष उत्पन्न करते हुए उच्च स्वर से सिंह की दहाड़ के समान गरजकर शंख बजाया ।। १२ ।। To bring joy to DURYODHANA’s heart, the great grandsire BHISMA, the oldest and most …

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