Chapter 1 – Shloka 42

The Gita – Chapter 1 – Shloka 42

 

The Gita – Chapter 1 - Shloka 42

Shloka 42

वर्णसंकर कुलघातियों को और कुल को नरक में ले जाने के लिये ही होता है । लुप्त हुई पिण्ड और जलकी क्रिया वाले अर्थात् श्राद्ध  और तर्पण से वंचित इनके पितरलोग भी अधो गति को प्राप्त होते हैं ।। ४२ ।।

Arjuna continued;
By the mixture of castes, families will breed more family destroyers; being deprived of food and water, their ancestors will also fall from heaven.

The Gita – Chapter 1 – Shloka 42

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