The Gita – Chapter 2 – Shloka 38
The Gita – Chapter 2 – Shloka 38
Shloka 38
The Blessed Lord spoke unto Arjuna:
O ARJUNA, by considering victory and defeat, pleasure and pain, gain and loss with indifference, you will not commit any sin.
जय-पराजय, लाभ-हानि और सुख-दुःखों को समान समझकर उसके वाद युद्ध के लिये तैयार हो जा : इस प्रकार युद्ध करने से तू पाप को नहीं प्राप्त होगा ।। ३८ ।।