The Gita – Chapter 8 – Shloka 04
Shloka 4
The Gita – Chapter 8 – Shloka 04
The Lord further explained:
Adhibhutam represents all perishable or temporary objects. Brahma, the Universal Soul is the Adhidaivam. O Arjuna, I the Vasudeva, am Adhiyga here in this body and form.
उत्त्पति-विनाश धर्म वाले सब पदार्थ अधिभूत हैं, हिरण्यमय पुरुष अधिदैव है और हे देहधारियों में श्रेष्ठ अर्जुन ! इस शरीर में मैं वासुदेव ही अन्तर्यामी रूप से अधियज्ञ हूँ ।। ४ ।।