The Gita – Chapter 13 – Shloka 14
The Gita – Chapter 13 – Shloka 14
Shloka 14
Shining by the functions of all the senses (see previous verses for the names of the senses), yet without the senses (i.e. organs), unattached, yet supporting all. devoid of Gunas (qualities), yet He experiences them.
वह सम्पूर्ण इन्द्रियों के विषयों को जानने वाला है, परन्तु वास्तव में सब इन्द्रियों से रहित है तथा आसक्ति रहित होने पर भी सबका धारण-पोषण करने वाला और निर्गुण होने पर भी गुणों को भोगने वाला है ।। १४ ।।