The Gita – Chapter 5 – Shloka 24
The Gita – Chapter 5 – Shloka 24
Shloka 24
One who is truly happy, peaceful and enlightened with his Soul, that wise man (Yogi) has combined with the supreme Soul (God) as one and attains freedom from all bondages to the world.
जो पुरुष अन्तरात्मा में ही सुख वाला है, आत्मा में ही रमण करने वाला है तथा जो आत्मा में हीं ज्ञान वाला है, वह सच्चिदानन्दधन परब्रह्म परमात्मा के साथ एकीभाव को प्राप्त सांख्य योगी शान्त ब्रह्म को प्राप्त होता है ।। २४ ।।