The Gita – Chapter 6 – Shloka 17
Shloka 17
The Gita – Chapter 6 – Shloka 17
O Arjuna, only those people who eat, live, work and sleep moderately, and destroy all misery, succeed in this Yoga.
दुःखों का नाश करने वाला योग तो यथा योग्य आहार विहार करने वाले का, कर्मों में यथा योग्य चेष्टा करने वाले का और यथा योग्य सोने तथा जागने वाले का ही सिद्ध होता है ।। १७ ।।