The Gita – Chapter 14 – Shloka 04
The Gita – Chapter 14 – Shloka 04
Shloka 4
The blessed Lord said:
Dear Arjuna, know that whenever and wherever a being is born, I am his parents, that is, both his mother and father, who gave him life in this world.
हे अर्जुन ! नाना प्रकार की सब योनियों में जितनी मूर्तियां अर्थात् शरीर धारी प्राणी उत्पन्न होते हैं, प्रकृति तो उन सब की गर्भ धारण करने वाली माता है और मै बीज को स्थापन करने वाला पिता हूँ ।। ४ ।।