The Gita – Chapter 14 – Shloka 26
The Gita – Chapter 14 – Shloka 26
Shloka 26
And he who serves Me with an unfailing devotion, he is fit for becoming Brahman because he is gone beyond all the qualities (Gunas).
और जो पुरुष अव्यभिचारी भक्त्ति योग के द्वारा मुझको निरन्तर भजता है, वह भी इन तीनों गुणों को भली भाँति लाँघकर सच्चिदानन्दधन ब्रह्म को प्राप्त होने के लिये योग्य बन जाता है ।। २६ ।।