The Gita – Chapter 3 – Shloka 39
The Gita – Chapter 3 – Shloka 39
Shloka 39
The wise men, O Arjuna, have one constant enemy, namely, the unending fire of desire which covers the Gyan or Knowledge of the wise.
और हे अर्जुन ! इस अग्नि के समान कभी न पूर्ण होने वाले काम रूप ज्ञानियों के नित्य वैरी के द्वारा मनुष्य का ज्ञान ढका हुआ है ।। ३९ ।।