The Gita – Chapter 6 – Shloka 02
The Gita – Chapter 6 – Shloka 02
Shloka 2
O Arjuna, consider Sannyaas and Yoga as one and the same; just as one becomes a Sannyassi by giving up all desires, similarly to be a Yogi one must do the same.
हे अर्जुन ! जिसको संन्यास ऐसा कहते हैं, उसी को तू योग जान । क्योंकि संकल्पों का त्याग न करने वाला कोई भी पुरुष योगी नहीं होता ।। २ ।।