The Gita – Chapter 6 – Shloka 24 – 25
Shloka 24 25
The Gita – Chapter 6 – Shloka 24 – 25
Once one has completely given up all desires created from his imagination and once one has learned to mentally control all of his senses, one slowly and gradually becomes peaceful. A true Yogi with a steady intellect fixes his mind only on God and thinks of nothing else but the Lord.
संकल्प से उत्पन्न होने वाली सम्पूर्ण कामनाओं को नि:शेष रूप से त्याग कर और मन के द्वारा इन्द्रियों के समुदाय को सभी ओर से भली भांति रोक कर —- ।। २४ ।।
कम-कम से अभ्यास करता हुआ उपरति को प्राप्त हो धैर्ययुक्त्त बुद्भि के द्वारा मन को परमात्मा में स्थित परमात्मा के सिवा और कुछ भी चिन्तन न करे ।। २५ ।।