The Gita – Chapter 9 – Shloka 06
Shloka 6
The Gita – Chapter 9 – Shloka 06
Arjuna, you must clearly understand that just as the vast wind moves in all directions in the sky, similarly all beings are placed in Me.
जैसे आकाश से उत्पन्न सर्वत्र विचरने वाला महान् वायु सदा आकाश में ही स्थित है, वैसे ही मेरे संकल्प द्वारा उत्पन्न होने से सम्पूर्ण भूत मुझ में स्थित हैं, ऐसा जान ।। ६ ।।