The Gita – Chapter 9 – Shloka 11
Shloka 11
The Gita – Chapter 9 – Shloka 11
Not knowing and fully understanding My Supreme Nature, all ignorant and unspiritual people in this world regard Me as insignificant when I am in human form. They fail to see and realize that I am the Lord of all beings.
मेरे परम भाव को न जानने वाले मूढ लोग मनुष्य का शरीर धारण करने वाले मुझ सम्पुर्ण भुतो के महान् ईश्वर को तुच्छ समझते है अर्थात अपनी योग माया से उद्भार के लिये मनुष्य रुप मे विचरते हुए मुझ परमेश्वर को साधारण मनुष्य मानते है ॥११॥